(सेंटीनल 6 माइकल फ्रीलिच के लॉंच को 11 दिन टाला गया जिससे उसको लॉंच करने वाले रॉकेट के दो फाल्कन-9 इंजिनों को बदलने के लिए पर्याप्त समय मिले। अंततः ये कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग वायु सेना बेस से 21 जून 2020 को लॉंच हुआ।)
10 नवंबर 2020 का दिन जलवायु परिवर्तन और उससे जुडी हुई जानकारियों पर नजर रखने वालों के लिए खास होगा. क्योंकि इसी दिन धरती के समुद्रों पर नजर रखने वाले एक नए पृथ्वी-अवलोकन उपग्रह (अर्थ ओब्जर्विंग सैटेलाइट) ‘सेंटिनल – 6 माइकल फ्रीलिच’ को कैलिफोर्निया के वैंडेनबर्ग वायु सेना बेस से लॉन्च किया जायेगा. इसका मकसद जलवायु परिवर्तन की वजह से हमारे महासागरों के स्तर में होने वाली बढ़ोत्तरी पर अब तक का सबसे सटीक डेटा एकत्र करना है. ये सतह पर होने वाले मिलीमीटर-स्केल के बदलावों को भी रिकॉर्ड कर लेगा. यूएस-यूरोपीय साझेदारी का यह मिशन साढ़े पांच साल चलेगा.
शोधकर्ताओं के लिए भविष्य को जानना हमेशा से ही जिज्ञासा का विषय रहा है. ऐसे में जलवायु परिवर्तन और उसके प्रभावों के लम्बे और सटीक रिकॉर्ड की जरुरत है. जेसन श्रृंखला के उपग्रह 2001 के बाद से वैश्विक समुद्र के स्तर की निगरानी करते रहे हैं. ये समुद्र की बड़ी घटनाओं जैसे गल्फ स्ट्रीम और कई हजार किलो मीटर के बड़े क्षेत्र में घटने वाली घटनाओं जैसे कि एल-नीनो और ला-नीना पर निगरानी रखते रहे हैं. पर समुद्र तटों के पास होने वाले छोटे-छोटे बदलावों को मापना इस श्रृंखला के उपग्रहों की क्षमताओं से परे था. जबकि इन छोटे बदलावों को मापना जहाजों के नेविगेशन और मछली पकड़ने जैसे कामों को काफ़ी प्रभावित कर सकता है.
सेंटिनल – 6 माइकल फ्रीलिच’ में लगे वैज्ञानिक उपकरण एक तकनीकि को इस्तेमाल करता है जिसे रेडियो औक्यूलेशन कहा जाता है जो धरती के वातावरण के भौतिक गुणों जैसे वातावरण के घनत्व, तापमान और नमी में आने वाले सूष्म बदलावों का अध्ययन संभव हो पता है. इस सैटेलाइट से ये पता लगाना आसन हो जायेगा कि जलवायु परिवर्तन पृथ्वी के समुद्र तटों को कैसे और कितनी तेजी से बदल रहा है.
- इस मिशन के डेटा से वैज्ञानिकों को समुद्र की सतह की ऊँचाई को ठीक से नाप पाएंगे और यह अनुमान लगाया जा सकेगा कि हमारे महासागर कितनी तेज़ी से बढ़ रहे हैं.
- ये वायुमंडलीय तापमान और आर्द्रता का सटीक डेटा भी एकत्र करेगा. जिससे मौसम के पूर्वानुमान और जलवायु मॉडल को बेहतर बनाने में मदद होगी.
- वैश्विक वातावरण के तापमान के रिकॉर्ड को बढाकर, ये मिशन ये समझने में वैज्ञानिकों की मदद करेगा कि पृथ्वी का तापमान कैसे बदल रहा है.
- वातावरण के तापमान और आर्द्रता, और समुद्र की ऊपरी परत के तापमान पर जानकारी, उन मॉडलों को बेहतर बनाने में मदद करेगी जो तूफान के गठन और विकास को ट्रैक करते हैं.
‘डॉ माइकल फ्रीलीच’ नासा के अर्थ साइंस डिवीजन के पूर्व निदेशक थे जिनके नाम पर इस सैटेलाइट का नाम रखा गया है. 2025 में, सेंटिनल -6 माइकल फ्रिलिच के जुड़वां, सेंटिनल -6 बी को लॉन्च किया जायेगा जो सेंटिनल -6 माइकल फ्रिलिच के काम को अगले आधे दशक के लिए बढ़ाएगा.
इस नए उपग्रह से आई जानकारी ये समझने में योगदान करेगी कि बढ़ते समुद्र मानवता को कैसे प्रभावित करेंगे.
Published on Oct 7, 2020
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