December 22, 2024

पृथ्वी के पानी का सर्वेक्षण करेगा नासा का ‘स्वोट मिशन’

2022 में लॉंच होने वाले नासा के ‘सर्फ़ेस वॉटर और ओशीन टोपोग्राफी मिशन’ या स्वोट मिशन की तैयारियां ज़ोरों पर हैं। इस मिशन का मकसद पूरी पृथ्वी की सतह पर मौजूद पानी का सर्वेक्षण करना है। ये दुनिया का पहला इतना व्यापक सर्वेक्षण होगा। ‘स्वोट पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (अर्थ ओबजरविंग सैटेलाइट)’ पृथ्वी के लगभग 90% भाग का सर्वेक्षण करेगा और झीलों, नदियों, जलाशयों व सागरों की हर 21 दिन में कम से कम 2 बार जांच करेगा। ‘स्वोट’ सैटेलाइट पानी के स्रोतों को तफसील से माप कर जानकारी इकट्ठा करेगा जिस से पता लगे सके कि पृथ्वी पर मौजूद पानी के स्रोतों में समय के साथ किस तरह बदलाव आ रहे हैं। इससे मिलने वाली जानकारी से ‘ओशीन सरकुलेशन मौडल’ और जलवायु और मौसम संबंधी पूर्वानुमान बेहतर होंगे और साफ पानी का बेहतर प्रबंधन करने में सुविधा होगी।

इस दिशा में एक बड़ा पड़ाव 27 जून 2021 को आया जब नासा की कैलिफोर्निया स्थित ‘जेट प्रॉपल्शन प्रयोगशाला’ (जेपीएल) की एक टीम ने इस सैटेलाइट की शान और शोध की दृष्टि से महत्वपूर्ण उपकरणों (पेलोड) को अमेरिकी वायु सेना के सी -17 हवाई जहाज पर लादा। ये 30 जून को फ़्रांस के केन्स के निकट स्थित ‘थेल्स अलेनिया क्लीन रूम फैसिलिटी’ में पहुंच गए। यहाँ इंजीनियर और टेकनीशियन इन हार्डवेयर को सेटेलाइट के साथ एकीकृत करेंगे।   

इस दिशा में एक बड़ा पड़ाव 27 जून 2021 को आया जब नासा की कैलिफोर्निया स्थित ‘जेट प्रॉपल्शन प्रयोगशाला’ (जेपीएल) की एक टीम ने इस सैटेलाइट की शान और शोध की दृष्टि से महत्वपूर्ण उपकरणों (पेलोड) को अमेरिकी वायु सेना के सी -17 हवाई जहाज पर लादा। ये 30 जून को फ़्रांस के केन्स के निकट स्थित ‘थेल्स अलेनिया क्लीन रूम फैसिलिटी’ में पहुंच गए। यहाँ इंजीनियर और टेकनीशियन इन हार्डवेयर को सेटेलाइट के साथ एकीकृत करेंगे।   

जेपीएल के कई इंजीनियर और तकनीशियनों की एक टीम भी साथ गयी है। ये सीएनईएस के अपने सहयोगियों को इसको पूरा तैयार करने में मदद करेंगे। एक बार काम पूरा होने पर स्वोट वापस कलिफोर्निया लाया जाएगा जहां उसे ‘स्पेस-एक्स फाल्क्न 9’ रॉकेट की मदद से वांडेनबर्ग एयर फोर्स बेस से छोड़ा जाएगा। हालांकि इसमें समय लगेगा और ये काम नवम्बर 2022 के बाद ही होने के आसार हैं।

‘स्वौट’, अमेरिकी अन्तरिक्ष एजेंसी ‘नासा’, फ्रेंच अन्तरिक्ष एजेंसी के ‘सीएनईएस’ का एक साझा मिशन है जिसमें कनाडियन अन्तरिक्ष एजेंसी, और यूनाइटेड किंगडम की स्पेस एजेंसी का भी योगदान है।

पानी एक सीमित संसाधन है। इस मिशन के तहत एक एसयूवी के बराबर का अन्तरिक्ष यान पृथ्वी की सतह पर मौजूद पानी का सर्वे करेगा। इसकी ऊंचाई को माप कर वैज्ञानिक ये अनुमान लगा पाएंगे कि किस जगह इसकी कितनी मात्रा उपलब्ध है। इससे उपलब्ध डेटा की मदद से ये जाना जा सकेगा कि

– ‘बाढ़ के मैदानों’ (फ्लड प्लेन) और आद्र क्षेत्रों (वैटलैंड) में कैसे बदलाव आ रहे हैं

– साफ पानी की झीलों और नदियों में कितना पानी जा और आ रहा है और कितना पानी वापस समुंदर में जा रहा है। इसकी मदद से समुद्र के उन इलाकों में निगाह रखी जा सकेगी जहां सतह की ऊंचाई में फेरबदल हो रहे हैं।

– समुद्र में उठने वाली वृत्ताकार धाराओं, जिन्हें भँवर कहते हैं, का पहली बार वैश्विक ओबजरवेशन हो पाएगा।

– समुद्र ऊष्मा को कैसे स्टोर करते हैं और कैसे इसे वातावरण में छोड़ते हैं।

– समुद्री वातावरण में कार्बन का संचार कैसे होता है।  

समुद्र की लहरों में आने वाले बदलाव के बारे में जानकारी उस समय समुद्र पर चल रही गतिविधियों, जैसे कि समुद्री जहाज, के लिए महत्व की होती हैं क्यूंकी ये गतिविधियां लहरों, ज्वार-भाटों, तूफानों और अन्य कई समुद्री घटनाओं से सीधी तौर पर प्रभावित होतीं हैं।

स्वोट से शोधकर्ताओं को पृथ्वी की सतह पर मौजूद पानी की मात्रा और उसके वितरण से संबन्धित करीब 1 टेरा बाइट डेटा प्रतिदिन मिलेगा।

Originally published on Jul 6, 2021